Wednesday, February 17, 2010

पहला प्यार और नताशा


मुझे वह अच्छी लगाती थी, और मैं उसे कभी-कभी नताशा कह कर बुलाता था.. वह मुझसे पूछती थी कि ये नताशा कौन है, मैं बस कहता कि ऐसे ही.. अब उससे कौन कहे कि मेरा पहला प्यार का नाम नताशा ही है.. मैं दिल ही दिल में खुदा को शुक्रिया अदा करता था कि वह कामिक्स नहीं पढ़ती थी.. कुल मिलकर कुछ ऐसा ही नशा हुआ करता था उस कामिक कैरेक्टर का..

पिछले पोस्ट में गौतम जी ने मुझे भी मेरा पहला प्यार याद दिला दिया.. मेरा शुरू से ये मानना रहा है कि हर पीढ़ी का अपना अलग हीरो होता है.. जैसे मुझ से ४-५ साल पहले कि पीढ़ी का वेताल हुआ करता था कमोबेश वैसा ही मेरे उम्र के लोग अपना हीरो ध्रुव और नागराज जैसे कैरेक्टर में ढूँढते रहे.. फिर कब जवान हुए और कब प्यार हुआ कुछ पता ही नहीं चला.. मेरी कई मित्र भी हैं जिसे अपना पहला प्यार ध्रुव या डोगा में दिखता रहा है, वहीँ कईयों को नागराज भी खूब भाता रहा है..

नताशा का पहला परिचय ग्रैंड मास्टर रोबो में कराया गया था.. मैंने बहुत पहले कभी ग्रैंड मास्टर रोबो नामक कामिक्स पोस्ट भी की थी जिसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं.. नताशा का पिता रोबो जो अपराध की दुनिया का बादशाह हुआ करता था, जब तक की वह ध्रुव से नहीं टकराया था.. नताशा उसके रोबो ट्रूप्स की कमांडर हुआ करती थी.. फिर जब वह चंडिका उर्फ श्वेता को जान पर खेल कर उसकी जान बचाते देखती है तो अपराध की दुनिया छोड़ देती है.. वैसे पूरी कहानी पढ़ने के लिए आप ग्रैंड मास्टर रोबो वाले लिंक से उस कामिक्स को डाउनलोड कर सकते हैं..

अब बढते हैं अगले प्रेम की ओर.. ऋचा.. वह भी ध्रुव के कामिक्स की ही कैरेक्टर है.. जो छद्म वेश रखकर ब्लैक कैट भी बनती है और अपराधियों से भी लड़ती है.. खाली समय में वह जिमनास्ट है, वही साथ में एक सुपर कम्प्युटर जीनियस भी.. आप फिलहाल ब्लैक कैट की पहली कामिक्स पढ़े, बाकी अगले पोस्ट में अपने एक और प्यार के साथ लौटता हूँ.. वैसे भी यह कामिक्स दो भागों में बनती हुई है.. सो मुझे जल्द ही आना है दूसरा भाग पोस्ट करने के लिए.. :)

"ब्लैक कैट" कामिक्स का डाउनलोड लिंक


आप कामिक्स डाउनलोड करने के लिए ब्लैक कैट कामिक्स की तस्वीर पर भी क्लिक कर सकते हैं..

Sunday, February 14, 2010

वेलेंटाइन-दिवस पर अपनी कामिक्स वाली माशुकाओं की याद में...

.....एक पूरा अर्सा ही बीत गया था इस ब्लौग पर कुछ लिखे हुए। आज अचानक वेलेंटाइन-दिवस के इस प्रेमोत्सव पर कुछ लिखने का मन आया तो स्वभाविक रुप से उन माशुकाओं की याद आयी जिनके साथ पला-बढ़ा हूँ। वेलेंटाइन-दिवस...पूरे सप्ताह के अलग-अलग दिनों को अलग-अलग नामों और अलग-अलग ढ़ंग से मनाती एक पूरी पीढ़ी मुझे अचानक से प्रौढ़ हो जाने का अहसास दिलाती है...और इस अहसास से उदास हुआ मन धम्म से बैठ जाता है कुछ पुरानी यादों का पुलिंदा खोल कर। मन का वो आशिक-कोना, जो एक बचपने में ही जवान हो गया था और अब तलक जवानी की उस चौखट पर सर रगड़ रहा है, उसी पुलिंदे से निकालता है एक फ़ेहरिश्त अपनी चंद चिरयुवा प्रेमिकाओं की। नहीं, इस "प्रेमिका" शब्द से धोखा न खायें। ये पूर्णतया एकतरफा इश्क का मामला है।...मामला है? नहीं, "मामले हैं" कहना उचित होगा। आइये नजर दौड़ाइये मेरे साथ ही इस फ़ेहरिश्त पर कि जानता हूँ मैं कि मेरे जैसे जाने कितने ही जवान हुये वो बचपन वाले आशिकों की फौज ने किस-किस जतन से इस फ़ेहरिश्त को संभाले रखा है युगों-युगों से।

फ़ेहरिश्त की क्रमवार सूचि में भले ही ढ़ेरों दुविधायें हों, किंतु पहले स्थान पर निर्विवाद रूप से डायना थी, है और रहेगी- अनंत काल तक। हैंग ऑन! हैंग ऑन!! मैं प्रिंस चार्ल्स वाली राजकुमारी डायना
की बात नहीं कर रहा। मैं बात कर रहा हूँ डायना पामर की...अपने, हमसब के हीरो वेताल उर्फ फैंटम उर्फ चलते-फिरते प्रेत की प्रेयसी और पत्‍नि डायना की। वो पहली नजर का पहला प्यार वाला
किस्सा था डायना के संग। उधर वेताल को हुआ, इधर मुझे भी। इंद्रजाल कामिक्स के उन पन्नों में मंडराती किसी स्वप्न-सुंदरी सदृश ही डायना एकदम से दिन का चैन और रातों की निंदिया उड़ा ले गयी थी उन दिनों। ये उन दिनों की बात है, जब अपने फैंटेसी की मनमोहक दुनिया बसाया हुआ बचपन सहर्ष ही किट और हेलोइश जैसे प्यारे-प्यारे जुड़वां बेटे-बेटी का पिता कहलाने को तैयार था। हवा-महल के उन सुहाने दिनों में, बौने बंडारों के जहर बुझे तीरों के सुरक्षा-घेरे में, खोपड़ीनुमा गुफा की उन ठंढ़ी तलहटियों में, शेरा और तूफान के संग वाली सैरों में और वेताल के साथ-साथ ही मंडराती चुनौतियों के खिलाफ़ छेड़ी हुई जंगों में...खिलखिलाती मचलती हुई डायना...उफ़्फ़्फ़्फ़!!! ...और जब अपने मि० वाकर उर्फ चलते-फिरते प्रेत ने प्रणय-निवेदन किया था हमारी डायना से और फिर डायना का उस निवेदन को सहर्ष स्वीकारना...आहहा! कैसा माहौल था वो खुशनुमा!! मानो डायना ने हमारा प्रणय-निवेदन ही स्वीकारा हो प्रत्यक्षतः.... :-) शायद याद हो आपसब को कि शादी में सुदूर ज़नाडु से चलकर अपना प्यारा जादूगर खुद मैण्ड्रेक भी आया था समारोह में हिस्सा लेने।

...और मैण्ड्रेक के साथ ही याद आती है प्रिसेंज नारडानारडा के ही महल के बगीचे में मैण्ड्रेक का इजहार अपने प्यार का राजकुमारी नारडा के प्रति और फिर

नारडा का ज़नाडु में स्थानंतरित होना लोथार और मोटे बटलर का साथ देने, शायद इंद्रजाल कामिक्स की दुनिया का एक और शो-केस इवेंट था। इसी फ़ेहरिश्त में यूं तो बेला भी शामिल थी, लेकिन बीतते वक्त के साथ उसकी तस्वीर तनिक धुमिल हो गयी है। बहादुर की बेला। कहानी के प्लाट में तमाम विविधतायें होते हुये भी बेला का तनिक रफ और टफ व्यक्तित्व मुझे ज्यादा रास नहीं आता। कराटे में वैसे तो डायना भी ब्लैक-बेल्ट थी, लेकिन फिर भी उसकी नजाकत और उसके जिस्म का लोच एक अलग ही अफ़साना बयान करते थे।

फ़ेहरिश्त में आगे चंद और विदेशी नायिकाओं का आगमन होता है। यकीनन लुइस लेन मेरे लिये
डायना के समक्ष ठहरती है। डेली प्लानेट के सौम्य और मृदुभाषी रिपोर्टर क्लार्क केंट की दोस्त और प्रेयसी जब क्लार्क केंट को सुपरमैन के ऊपर तरजीह देती है, एक झटके में मेरा दिल ले जाती है। बात उन दिनों की है जब अचानक से इंद्रजाल कामिक्स का प्रकाशन बंद हो गया था और विदेश से आनेवाले मेरे एक रिश्तेदार ने मेरे कामिक्स-प्रेम को देखते हुये मेरे लिये चंद डीसी और मार्वल कामिक्स का पूरा सेट उपहार में लेकर आये थे। उन दिनों जब डायना दिखनी बंद हो गयी थी, लुइस लेन आयी थी एक बहुत ही मजबूत विकल्प बन कर। सुपरमैन की प्रेयसी किसी भी मामले में कहीं भी सुपरमैन से कम नही थी{है}। याद आता है मुझे क्लार्क कैंट और लुइस का विवाह और उन दिनों किसी कारणवश सुपरमैन अपनी सारी शक्तियाँ खो चुका था, तब तमाम विपदाओं से लड़ती हुई लुइस लेन ने अकेले ही क्लार्क कैंट को मुसिबतों से निकाला था। लुइस लेन और मेरा प्रेम-प्रसंग अभी जारी है कि हर महीने मेरे पास अभी भी डीसी कामिक्स से सुपरमैन के निकलने वाले तीन टाइटल्स लगातार आ रहे हैं।

...और इसी जारी प्रेम-प्रसंगों की एक सबसे प्रबल प्रतिभागी है मेरी जेन। जी हाँ, अपने नेक्स्ट डोर
नेबर पीटर पार्कर उर्फ स्पाइडर मैन की मेरी जेन । दि बोल्ड एंड सेन्सुअस मेरी जेन...उफ़्फ़्फ़! उन तमाम बनते-बिगड़ते रिश्तों की उलझनें, उन तमाम विलेनों के संग की उठा-पटक, उन तमाम रातों की चिंतित करवटें जब पीटर अपने स्पाईडी अवतार में दुश्मनों की बैंड बजा रहा होता है...मैंने मेरी जेन का साथ निभाया है। इस लिहाज से मैं कई बार चक्कर में भी पड़ जाता हूँ। चक्कर में कि मेरी जेन या डायना पामर...?? मेरी या डायना...??? और इस चक्कर में डायना का पलड़ा भारी करने हेतु मैं कभी इंटरनेट पे तो कभी कबाड़ियों और पुराने दुकानों के गर्द पड़ चुके कोनों में फैंटम कामिक्सों को तलाशते रहता हूँ। इंद्रजाल कामिक्स के लुप्तप्राय हो जाने के बावजूद अब भी जुड़ा हुआ हूँ येन-केन-प्रकारेन फैंटम की दुनिया से...तो डायना का पलड़ा हमेशा भारी ही रहता है।

इसी फेहरिश्त में कहीं पर सेलिना भी है। सेलिना....कैट वोमेन...बैटमेन की प्रेमिका। वैसे शायद प्रेमिका कहना अनुचित होगा। क्योंकि सेलिना का अपराधिक-चरित्र और बैटमैन का अपराध को समूल नाश करने का लिया गया वचन इस प्रसंग को आगे बढ़ने से रोकता है। किंतु अपने अल्टर-इगो में ब्रुस वेन कही-न-कहीं सेलिना के प्रति झुकाव तो महसूस करता ही है और उसी झुकाव की वजह से हम बैटमैन के चाहनेवाले भी दिलोजान से कामना करते रहते हैं कि ये खूबसूरत सेलिना छोड़ क्यों नहीं देता है चोरी-चकारी।

...और यहाँ से फेहरिश्त वापस मुड़ती फिर से होम-ग्राउंड की ओर।
ध्रुव की सहचरी कमांडर नताशा हो या फिर नागराज की प्रेयसी विसर्पी हो या
हो अपने डोगा की संगिनी सोनु उर्फ मोनिका । कुछ और नाम भी जुड़ते चले
जा रहे हैं, लेकिन पोस्ट तनिक लंबी होती जा रही है। ...तो फेहरिश्त की अगली किश्त फिर कभी फुरसत में जब अगली
बारआता हूँ पोस्ट लिखने। तब तक के लिये मेरे ही जैसे आपसब तमाम आशिकों को सलाम...!

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